सुना है रिज़र्व बैंक ने सभी बैंकों से चवन्नी को वापस लेने का हुक्म जारी कर दिया है और ३० जून के बाद से बाज़ार में इसका कोई नामोनिशान बाकी नहीं रह जाएगा... यानि कि अब चवन्नी चलन से बहार होकर इतिहास बन जाएगी ...मुझे तो बड़ी चिंता हो गई है इस खबर को सुन कर कि अब क्या होगा भगवान और उनके भक्तों का....कैसे चढाएंगे भगवान को प्रसाद हम....सवा रुपये, सवा दो रुपये, सवा सात रुपये, सवा ग्यारह रुपये....यही तो रेट फिक्स हैं न भगवान के प्रसाद के लिए.... और अब जब चवन्नी नही रहेगी तो भला सवा का हिसाब कैसे किया जायेगा. कोई खाली ख़ाली एक, दो, सात या ग्यारह रुपये का प्रसाद कैसे चढ़ा सकता है भगवान को? इसी सवा में तो सारा वज़न है जो भगवान को प्रभावित करता हैं और उनको इसी की आदत भी है हमेशा से ...अब जब ये नहीं रहेगा तो क्या खाक प्रसन्न होंगे भगवान जी और तब हो चुकी हमारी मनोकामना पूरी? मेरे विचार से तो इस संकट से उबरने के लिए रिज़र्व बैंक को ही कोई समाधान निकलना होगा ...अच्छा तो होगा कि वह सवा रुपये के नए नोट ही निकाल दे .. फिर तो भक्त भी संतुष्ट और भगवान भी खुश !
हाँ एक बात और...वो जो गाना है न...'राजा दिल मांगे चवन्नी उछाल के'... उसका क्या होगा ?
कहीं इतना शानदार गाना बंद तो नहीं हो जायेगा.....या फिर अब हमें इस गाने को कुछ यूं गाना पड़ेगा ...राजा दिल मांगे रुपय्या उछाल के ?
हाँ एक बात और...वो जो गाना है न...'राजा दिल मांगे चवन्नी उछाल के'... उसका क्या होगा ?
कहीं इतना शानदार गाना बंद तो नहीं हो जायेगा.....या फिर अब हमें इस गाने को कुछ यूं गाना पड़ेगा ...राजा दिल मांगे रुपय्या उछाल के ?